अवैध धर्म परिवर्तन (Illegal Conversion Case), Source-Freepikअवैध धर्म परिवर्तन (Illegal Conversion Case), Source-Freepik

बतकही/लखनऊ; उत्तर प्रदेश (UP News) का फतेहपुर (Fatehpur News) जिला धर्म परिवर्तन को लेकर काफी चर्चा में रहता है। यहां धर्म परिवर्तन के कई मामले सामने आ चुके हैं। अब आपको बताने जा रहे हैं, धर्म परिवर्तन के ठेकेदार की ऐसी कहानी जिसे सुनकर आप भी सन्न रह जाएंगे। एक हजार से अधिक लोगों का अवैध रूप से धर्म परिवर्तन (Illegal Conversion Case) कराने वाला मौलाना उमर गौतम (Maulana Umar Gautam) इसी जिले का मूल निवासी है।

हैरान करने वाली बात यह है कि वह मुस्लिम नहीं, बल्कि क्षत्रिय परिवार में जन्मा था। सन 1984 में पहले वह क्षत्रिय से मुस्लिम बना। फिर उसने एक-एक करके एक हजार से अधिक लोगों को अपने जाल में फंसाया। उन्हें भी मुस्लिम बना दिया। मौलाना उमर गौतम का मूल नाम श्याम प्रताप सिंह गौतम था। यह जिले के पंथुआ गांव का रहने वाला था।

12 दोषियों को सुनाई गई उम्रकैद की सजा

अब एक बार फिर यह मामला चर्चा में है। वह इसलिए क्योंकि बुधवार को हाईकोर्ट की लखनऊ (Lucknow High Court) बेंच में इसके मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने इसे दोषी माना है। उमर गौतम सहित 12 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। वहीं 4 अन्य दोषियों को 10-10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। अचंभित करने वाली बात यह है भी कि उमर जिल गांव का निवासी था, उस गांव में मुस्लिम समुदाय का एक भी घर नहीं है। आइए जानते हैं श्याम प्रताप कैसे बन गया मौलाना उमर…

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छह बेटों में चौथे नंबर है उमर

पंथुआ गांव निवासी धनराज सिंह गांव के धनाड्य व्यक्तियों में से एक थे। वह पंचायत सचिव की नौकरी करते थे, जो बाद में एडीओ पंचायत भी बने। धनराज को छह बेटे थे। बड़े से छोटे के क्रम में देखें तो उदय राज प्रताप सिंह, उदय प्रताप सिंह, उदय नाथ सिंह, उमर उर्फ श्याम प्रताप सिंह, श्रीनाथ सिंह। सबसे छोटे बटे ध्रुव प्रताप सिंह का निधन हो गया है।

गांव में नहीं मुस्लिम समुदाय का एक भी घर

उमर चौथे नंबर का है। इसका जन्म सन 1964 में हुआ था। पंथुआ गांव की बात करें तो गांव में ठाकुर, यादव, दलित, मौर्य और कुछ पिछड़ी जातियों के लोग रहते हैं। गांव में मुस्लिम समुदाय का कोई घर नहीं है। आठवीं तक यह पड़ोसी गांव रमवा के सुभाष जूनियर हाईस्कूल में पढ़ा। फिर सर्वोदय इंटर कॉलेज से 12वीं पास की।

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पंतनगर में मुस्लिम महिला से हुआ संपर्क

इसकी शादी हिंदू रीति रिवाज से क्षत्रिय परिवार में हुई। पत्नी का नाम राजेश्वरी है। 12वीं की पढ़ाई के बाद एक नया मोड़ आता है। उमर, एग्रीकल्चर से बीएससी करने के लिए पंतनगर (जो अब उत्तराखंड में है) चला गया। वह पत्नी के राजेश्वरी के साथ दिल्ली में रहता था। उसको दो बेटे होने की भी बात कही जा रही है। पंतनगर में यह एक मुस्लिम महिला के संपर्क में आया। महिला ने इसे धर्म परिवर्तन करने पर प्रोफेसर बनने का लालच दिया।

किसी की भी न सुनी बात

इसने महिला के लालच देने पर मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया। एक बार गांव आया तो इसकी मुस्लिम वेशभूषा देखकर लोग चौंक गए। घर आर गांव के लोगों ने काफी समझाया। लेकिन, उसके सिर पर महिला का भूत सवार था। उसने किसी की बात न सुनी। शहर में रहने वाले उसे ससुर ने उसे समझाया। उससे एक ईंट-भट्ठा खोलने के भी बात कही। लेकिन वह उनकी भी बात न माना।

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दिल्ली से एटीएस ने किया था गिरफ्तार

हर प्रयास के बाद जब उमर ने किसी की बात नही सुनी तो उसके पिता धनराज ने उसे अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया। इसके बाद वह कभी गांव नहीं लौटा। अब वर्ष 2021 में उस समय इसकी चर्चा ने फिर जोर पकड़ा, जब एटीएस टीम इसके गांव पहुंची। एटीएस ने उमर को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। गांव वाले बताते हैं कि अब उसका गांव से कोई रिश्ता नहीं है। वह आखिरी बार माता-पिता के देहांत पर गांव आया था। करीब आधे घंटे रुका था।

इस तरह शुरू किया धर्म परिवर्तन का खेल

हालांकि चर्चा यह है कि मौलाना उमर गांव नहीं आता था। लेकिन, शहर के आता रहता था। यहां पर लखनऊ रोड स्थित एक स्कूल में भी कई बार आने की बात कही जा रही है। इसने साथियों के साथ मिलकर एक समूह बनाया। फिर दिव्यांग, मूक-बधिर बच्चों और गरीब लोगों को लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराना शुरू कर दिया।

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भाइयों की आर्थिक मदद करने की चर्चा

जांच के दौरान एटीएस टीम इस स्कूल भी पहुंची थी। इसमें उमर के आने की पुष्टि हुई थी। ग्रामीणों में चर्चा है कि मौलाना बने उमर ने गांव में अपने एक भाई की आर्थिक मदद की थी। उसने घर बनाने के लिए उसे पैसे दिए थे। वह समय-समय पर भाइयों की आर्थिक मदद करता रहता है। कहा जा रहा है कि जांच में इसका भी खुलासा हो सकता है।

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