हाथरस हादसे की आंखों देखीहाथरस हादसे की आंखों देखी

यूपी के हाथरस के सिकंदराराऊ में 2 जून को दर्दनाक हादसा हुआ। यहां भोले बाबा उर्फ साकार हरि उर्फ सूरजपाल के सत्संग के बाद भगदड़ मच गई। इसमें पैरों से कुचलकर 121 लोगों की जान चली गई। भगदड़ में जान बचाकर निकल पाए लोगों ने उस भयावह हादसे की आंखों देखी बताई है।

एसआईटी टीम कर रही जांच

हाथरस हादसे की जांच एसआईटी कर रही है। एसआईटी टीम में आगरा जोन के एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ और अलीगढ़ की कमिश्नर चेत्रा बी शामिल हैं। आसपास के पांच गावों के लोगों पुलिस लाइन में एसआईटी के सामने पेश होकर अपने बयान दर्ज कराए। लोगों ने बताया कि सत्संग के समापन पर मची भगदड़ में महिलाएं सड़क किनारे बनी खाई में गिर गईं।

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बताया कि महिलाएं मदद के लिए चिल्ला रही थीं। लेकिन, भीड़ इतनी बेकाबू थी कि लोग उनकी चीखें सुनने को तैयार नहीं थे। भीड़ उनको कुचलते हुई उनके ऊपर से निकलती रही। भगदड़ की खबर सुनकर आसपास के गांवों से नौजवान भगकर आए। वह पंडाल से बाहर सड़क किनारे खड़े थे।

सेवादारों ने पैदा किए इस तरह के हालात

नौजवान मदद के लिए दौड़े तो सेवादारों ने उन्हें डंडा दिखाकर रोक दिया। आगे बढ़े तो आगे बढ़े तो डंडा लिए सेवादार उन्हें दौड़ाने लगे। कई से मारपीट पर उतारू हो गए थे। बताया कि करीब पौन घंटे तक भीड़ इधर से उधर भागती रही। लोग गड्ढे में गिरी महिलाओं के ऊपर से गुजरते रहे।

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सेवादारों को जब यह अंदेशा हुआ कि कई महिलाओं की मौत हो गई है तो वह मौके से भाग निकले। ग्रामीणों ने अफसरों से कहा कि यदि सेवादार ग्रामीणों को मदद करने से न रोकते तो इतने लोगों की मौत न होती। यदि सेवादार वहां से हट जाते और ग्रामीणों को मदद करने देते तो यह हालात न पैदा होते।

पुलिसवालों की मदद से ले जाया गया अस्पताल

ग्रामीणों ने एसआईटी टीम को बताया कि चारो तरफ चीख पुकार मची थी। भीड़ इतनी थी कि किसी को कुछ समझ में आ रहा था कि क्या करें। बाद में उन लोगों ने वहां मौजूद पुलिसवालों की मदद से एंबुलेंस बुलाईं। दूसरे वाहनों लोगों को अस्पताल ले जाया गया।

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ग्रामीणों द्वारा एसआईटी को दिए मुख्य बयान

  • सेवादारों की वजह से बिगड़े हालात, भीड़ को डंडे से हांक रहे थे।
  • ग्रामीण मौके पर पहुंचे तो किसी को भी मदद नहीं करने दी गई।
  • सेवादारों ने बाबा के काफिले को गुजारने के लिए भीड़ को रोक दिया था।
  • गर्मी के कारण महिलाओं को महसूस हो रही थी बेचैनी…हर कोई खुले में पास के खेत में जाना चाह रहा था।
  • सेवादारों ने महिलाओं के पर्स और चप्पल तक उठाकर खेतों में फेंक दिए थे।

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