यूपी के हाथरस में 2 जून को दर्दनाक घटना घटी। यहां पर सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के फुलराई मुगलगढ़ी गांव में सत्संग आयोजित किया गया। सत्संग में प्रवचन करने नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा गए थे। सत्संग के समापन पर बाबा की चरण रज लेने को लोग दौड़े।
मैदान के बगल में एक खाई थी, जिसे वहां के लोग नाला बता रहे हैं। इस खाई में कीचड़ था। चरण रज लेने के दौरान भगदड़ मच गई। लोग फिसलकर कीचड़युक्त खाई में गिरते गए। एक के ऊपर एक लोग खाई में समाते गए। अन्य लोग उनके ऊपर से होकर भागते रहे। बुरी तरह कुचलकर 121 लोगों की जान चली गई।
घायलों को पहुंचाया गया अस्पताल
घटना के बाद बाबा के सेवादार मदद करने की बजाय वहां से भाग निकले। इसके बाद राहत बचाव कार्य हुआ। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। शवों को जो भी वाहन मिला उसमें भरकर पोस्टमार्टम गृह भेजा गया।
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इसके बाद से लोगों में चर्चा तेज हो गई, कि आखिर जिन साकार हरि के सत्संग में 80 हजार लोगों की अनुमति ली गई। उसमें 2.5 लाख लोग पहुंचे। वह भोले बाबा आखिर कौन हैं? इनका मूल नाम क्या है? यह कहां के रहने वाले हैं? ये बाबा कैसे बने? इतना बड़ा साम्राज्य कैसे खड़ा किया?
आइए इस खबर में हम आपको भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि के बारे में सब कुछ बताते हैं। आगे पढ़ें उनकी पूरी कहानी-
कासगंज जिले के पटियाली तहसील क्षेत्र में बहादुरनगर गांव है। जो नारायण साकार हरि का मूल निवास है। इनका मुख्य नाम सूरजपाल सिंह जाटव है। यह उत्तर प्रदेश पुलिस में बतौर सिपाही एलआईयू ईकाई में तैनात थे। नौकरी के दौरान इनकी हेड कांस्टेबल के रूप में पदोन्नति भी हुई। लेकिन इनका नौकरी से मोह भंग हो गया।
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वर्ष 1997 में सूरजपाल ने नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। सूरजपाल को कोई संतान नहीं थी। इसके बाद इन्होंने आध्यात्म के मार्ग को चुना। वर्ष 1999 में अपने पैतृत गांव बहादुरनगर में इन्होंने अपने घर को आश्रम का रूप दे दिया। यहां पर सत्संग करने लगे।

चमत्कार के मोह में बढ़ता गया कारवां
सत्संग शुरू करने के बाद इन्हें भोले बाबा के रूप में ख्याति मिली। इसके बाद इन्होंने अपनी पत्नी को भी साथ में बैठाना शुरू कर दिया। अनुयायियों ने इनकी पत्नी को माताश्री के रूप में ख्याति दिलाई। वर्ष 1997 के बाद से सूरजपाल उर्फ भोले बाबा की आध्यात्मिक यात्रा का प्रचार प्रसार काफी तेजी से हुआ।
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भोले बाबा के सत्संग में लोग अपनी परेशानियां लेकर आने लगे। भोले बाबा उनकी बीमारियों और परेशानियों को अपने हाथों के स्पर्श मात्र से ठीक करने का दावा करने लगे। सत्संग और चमत्कार का प्रचार ऐसा हुआ कि अनुयायी खिंचे चले आते। चमत्कार के मोह में अनुयायियों का कारवां बढ़ता ही गया।

बाबा की खुद की है आर्मी
बाबा ने गांव में 30 बीघे में अपना आश्रम बना लिया। 5 बीघे में अनुयायियों के रुकने के लिए अनुयायी विश्राम गृह बना हुआ है। धीरे-धीरे बोले बाबा का जादू अनुयायियों पर इस कदर चढ़ा कि बाबा की खुद का आर्मी तैयार है। यह आर्मी गुलाबी कपड़े पहनती है। इन्हें कोई सैलरी नहीं मिलती। यह अपनी मर्जी जितनी देर तक चाहते हैं, सेवा करते हैं।
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बाबा के किसी भी सत्संग में ट्रैफिक पुलिस नहीं लगाई जाती। बाबा की गुलाबी आर्मी (जिसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं) ही ट्रैपिक और सुरक्षा का जिम्मा संभालती है। अब वर्ष 2024 में करीब ढाई दशक बीतते-बीतते भोले बाबा का कारंवा इतना बढ़ गया कि सत्संग में लाखों लोग आते हैं।

कई राज्यों में बन गए बाबा के अनुयायी
अब सिर्फ पटियाली (बहादुरनगर) ही नहीं बल्कि कासगंज, एटा, बदायूं, फर्रुखाबाद, हाथरस, अलीगढ़ के अलावा दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित कई राज्यों में भोले बाबा की धूम होने लगी है। देशभर में लाखों लोग उनके अनुयायी बन गए हैं। भोले बाबा के अनुयायी उनके प्रति कट्टर भी हैं। कोई भी बाबा की आलोचना सुनना पसंद नहीं करता है।
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पैतृक गांव बहादुर नगर में भोले बाबा का बड़ा आश्रम बना है। इस आश्रम में पहले सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार को सत्संग होता था। लेकिन, कुछ वर्ष पहले से यह परंपरा टूटी है। लोगों का कहना है कि बाबा पिछले कई वर्षों से इस आश्रम नहीं आए। लोग यह भी बताते हैं कि बाबा आश्रम में रहें या न रहें, लेकिन उनके अनुयायियों के आने का सिलसिला अनवरत जारी रहता है।
…नलों से निकलता है अमृत
भोले बाबा के अनुयायी आम दिनों में तो यहां पहुंचते ही हैं। मंगलवार को विशेष रूप से पहुंचते हैं। अनुयायियों में यह भी मान्यता है, कि आश्रम में लगे नल पानी नहीं अमृत निकलता है। इसके पानी से लोग स्नान भी करते हैं। ताकि बीमारियां ठीक हो जाएं। नल का पानी प्रसाद के रूप में बोतलों में भरकर साथ भी ले जाते हैं।
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भोले बाबा के दर्शन की आस लेकर दूर दूर से अनुयायी यहां नियमित रूप से पहुंचते हैं। पटियाली स्टेशन और बहादुरनगर मार्ग पर मंगलवार को काफी भीड़ देखी जाती है। ट्रेनों से भी अनुयायियों का आना-जाना रहता है। अनुयायियों की मौजूदगी आश्रम में रहने के कारण आश्रम भी गुलजार रहता है।

क्या कहते हैं लोग
इलाकाई निवासी संजय ने बताया कि आश्रम करीब ढाई दशक पुराना है। यहां भोले बाबा के अनुयायियों का आवागमन बराबर रहता है। वहीं पटियाली के अनुराग बताते हैं कि आश्रम के नल से लोग बोतल में पानी भरकर ले जाते हैं। अनुयायियों की भोले बाबा में विशेष आस्था रहती है।
24 वर्ष पहले जा चुके हैं जेल
वर्ष 2000 में भोले बाबा आगरा में गिरफ्तार किए गए थे। चमत्कारी उपचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। 224/2000 मुकदमा संख्या है। मामले में भोले बाबा सहित सात लोग गिरफ्तार किए गए थे। हालांकि उस समय साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट से बरी हो गए थे। दिसंबर 2000 में इस केस में एफआर लग चुकी है।