बतकही/कासगंज: करीब 12 वर्षों के बाद सूरजपाल (Suraj Pal) उर्फ भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि अपने पैतृक गांव में बने आश्रम पहुंचे। यह जानकारी उनके वकील एपी सिंह ने दी। बाबा का पैतृक गांव कासगंज जिले में बहादुरनगर है। यहा पर बाबा ने वर्ष 1999 में आश्रम स्थापित किया था। यहीं से उन्होंने सत्संग की शुरुआत की थी। बुधवार को साकार हरि यहां पहुंचे।
यहां पहुंचने के बाद उन्होंने मीडिया से बात की। पीटीआई से बातचीत में साकार हरि उर्फ भोले बाबा ने हाथरस हादसे पर चुप्पी तोड़ी। कहा कि ‘सत्संग में भगदड़ की घटना से दुखी और उदास हूं। होनी को कौन टाल सकता है। जो आया है… उसे एक न एक दिन जाना भी है’।
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Bhole Baba: एसआईटी और न्यायिक आयोग पर पूरा भरोसा
कहा कि हमारे अधिवक्ता डॉ. एपी सिंह और प्रत्यक्षदर्शियों ने हमें सत्संग हादसे में प्रयोग जहरीले स्प्रे के बारे में बताया। उसके अनुसार यह सच है कि इसमें निश्चित रूप से कोई साजिश है। हमारे अनुयायियों को एसआईटी और न्यायिक आयोग पर पूरा भरोसा है। टीम जांच करके सच्चाई सामने ले आएगी’।
Hathras Tragedy: 121 लोगों की चली गई जान
यहां पर बताते चलें कि हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र के मुगलगढ़ी में 2 जुलाई को सत्संग का आयोजन था। इसमें प्रवचन करने भोले बाबा उर्फ साकार हरि पहुंचे थे। सत्संग में 80 लोगों की अनुमति ली गई। जबकि करीब 2.5 लाख लोग शामिल हुए। समापन पर भगदड़ मच गई। इसमें 121 श्रद्धालुओं को जान गवांनी पड़ी। मामले में एसआईटी जांच कर रही है।
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Narayan Sakar Hari: मायूस लौट गए अनुयायी
भोले बाबा उर्फ साकार हरि अपने पैतृक गांव में बने आश्रम पहुंचे हैं। गांव में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। आश्रम के बाहर सेवादारों का भी कड़ा पहरा है। हालांकि साकार हरि विश्व उर्फ भोले बाबा आने की खबर मिली तो अनुयायियों का आना शुरू हो गया। दर्शन के लिए काफी संख्या में अनुयायी एकत्र हो गए। उन्होंने काफी देर तक इंतजार किया। लेकिन, बाबा के दर्शन न होने पर मायूस होकर लौट गए।
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