बतकही/आगराः यूपी (UP News) के आगरा (Agra News) में चल रहे ताज महोत्सव (Taj Mahotsav 2025) में हस्तशिल्प, कला और संस्कृति के रंग बिखरे हुए हैं। इस बार पश्चिम बंगाल के जूट से बने इको-फ्रेंडली उत्पाद ( eco-friendly items) खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। कोलकाता की शिल्पी शिखा की स्टॉल पर सजे जूट के अनोखे उत्पादों की खूब मांग हो रही है। इन पारंपरिक और पर्यावरण-संवेदनशील वस्तुओं में इको-फ्रेंडली थैला सबसे ज्यादा ध्यान खींच रहा है।
इसके अलावा, जूट से बनी मेट, हैंगिंग चेयर और बास्केट भी खरीदारों को खूब लुभा रहे हैं। आदिवासी समुदाय द्वारा निर्मित ये उत्पाद न केवल सुंदरता और उपयोगिता का बेहतरीन मेल हैं, बल्कि पर्यावरण की रक्षा में भी सहायक हैं। शिखा का कहना है कि जूट से उत्पाद तैयार करने में काफी मेहनत लगती है, लेकिन लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया इस परिश्रम को सार्थक बना देती है।
Taj Mahotsav 2025: इको-फ्रेंडली थैलों ने मोहा मन
ताज महोत्सव में यह रुझान दर्शाता है कि अब लोग इको-फ्रेंडली विकल्पों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल के जूट उत्पाद न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए हैं, बल्कि सतत विकास और हरित भविष्य की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
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Taj Mahotsav 2025: ताज महोत्सव में आदिवासी हुनर की छटा
ताज महोत्सव में आदिवासी समुदाय की महिलाओं द्वारा बनाई गई हस्तशिल्प कृतियों की अलग ही चमक है। इन पारंपरिक शिल्पों के बीच कोलकाता की शिखा मजूमदार की स्टॉल खास आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। शिखा ने जूट के माध्यम से कई अनूठे और इको-फ्रेंडली उत्पाद तैयार किए हैं, जो न केवल सुंदरता का प्रतीक हैं, बल्कि आपकी रोजमर्रा की जरूरतों में भी शामिल हो सकते हैं।
Taj Mahotsav 2025: जूट से बने इको-फ्रेंडली उत्पादों की धूम
उनके बनाए उत्पादों में टेबल मेट, फ्लोर मेट, डोर मेट, हैंगिंग चेयर, बास्केट और आकर्षक कीचेन शामिल हैं। इनकी कीमत मात्र 50 रुपये से शुरू होकर 2500 रुपये तक जाती है, जिससे हर वर्ग के खरीदार इन्हें आसानी से अपना सकते हैं। खास बात यह है कि ये उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल हैं और प्लास्टिक के विकल्प के रूप में उपयोग किए जा सकते हैं।
ताज महोत्सव में इन जूट उत्पादों को खरीदने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। शिखा मजूमदार का कहना है कि इन उत्पादों को तैयार करने में काफी मेहनत लगती है, लेकिन लोगों का उत्साह और बढ़ती जागरूकता उनकी मेहनत को सार्थक बनाती है। पर्यावरण संरक्षण और आदिवासी हुनर का यह संगम ताज महोत्सव में विशेष आकर्षण बन गया है।
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Taj Mahotsav 2025: शिखा मजूमदार का जूट थैला: पर्यावरण बचाने का अनोखा समाधान
ताज महोत्सव में कोलकाता की शिखा मजूमदार की स्टॉल पर एक खास इको-फ्रेंडली थैला लोगों को खूब आकर्षित कर रहा है। शिखा ने इस थैले को बड़ी बारीकी से तैयार किया है। इसमें जूट से सुंदर और मजबूत काम किया गया है। इस थैले को बनाने में एक से डेढ़ दिन का समय लगता है। इसकी गुणवत्ता और उपयोगिता इसे बेहद खास बनाती है। इस थैले की सबसे बड़ी खासियत इसकी मजबूत बनावट है। ताकि इसमें 15 से 20 किलो तक का सामान आसानी से रखा जा सकता है।
Taj Mahotsav 2025: उपयोगिता के कारण खरीद रहे लोग
इसके उपयोग से न केवल पॉलिथीन का विकल्प मिलता है। बल्कि, पर्यावरण को होने वाले नुकसान से भी बचाव होता है। महज 350 रुपये की कीमत वाले इस थैले की मांग भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है। हालांकि, ताज महोत्सव में इसे लोग खासतौर पर इसकी बेहतरीन डिज़ाइन और उपयोगिता के कारण खरीद रहे हैं। शिखा मजूमदार न केवल जूट उत्पाद बना रही हैं, बल्कि अन्य लोगों को भी इसकी ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं। उनका यह प्रयास न केवल हस्तशिल्प को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रहा है।