बतकही/कानपुर; उत्तर प्रदेश (UP News) के कानपुर मंडल (Kanpur News) में 23 दिन में तीन बार रेल ट्रैक पर घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश की गई। ये घटनाएं असफल जरूर रहीं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ये किसी बड़े षडयंत्र की इशारा कर रही हैं। दो दिन पहले भी कालिंदी एक्सप्रेस (Kalindi Express Incident) को डिरेल करने की कोशिश नाकाम रही। लेकिन मौके से मिला सामान किसी बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रहा है। इससे पहले फर्रुखाबाद के पास कासगंज-फर्रुखाबाद एक्सप्रेस एक लकड़ी के टुकड़े से टकराई थी। हालांकि इस मामले को रेलवे प्रशासन ने किसी साजिश के तौर मानने से इनकार कर दिया है।
बताते चलें कि बीती 16 अगस्त की रात पनकी धाम स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर पटरी के ऊपर एक और पटरी रख दी गई थी। उस समय वहां से साबरमती एक्सप्रेस निकल रही थी। घटना में साबरमती एक्सप्रेस की 22 बोगियां डिरेल हो गईं। गनीमत रही कि कोई हताहत नहीं हुआ। मामले में रेलवे प्रशासन ने जांच शुरू की। एनआईए की टीम ने भी जांच की। लेकिन, टीमें अभी तक किसी नतीजे में नहीं पहुंच सकी है।
ट्रेन उड़ाने की थी साजिश
इसी बीच रविवार, 8 सितंबर की रात अनवरगंज-कासगंज रूट पर एक बार फिर ट्रेन को उड़ाने की साजिश दिखी। भिवानी एक्सप्रेस 100 की रफ्तार से आगे बढ़ रही थी। इसी बीच बर्राजपुर और बिल्हौर के बीच अचानक एक सिलिंडर से टकराई। टकराने के बाद तेज आवाज हुई। लोको पायलट को कछ अनहोनी लगी तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगा दी। ट्रेन रुक गई। एक बार फिर बड़ा हादसा टल गया।
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इस बार भी टल गया बड़ा हादसा
जानकारी मिली तो रेलवे प्रशासन के छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक मौके की तरफ भागे। पहुंचकर घटनास्थल की जांच की। मौके से एक भरा हुआ गैस सिलेंडर मिला। पास में ही पेट्रोल बम पड़ा था। बारूद जैसा पदार्थ और माचिस के अलावा एक झोला भी मिला है। इससे यह लगभग साफ होते दिखा कि पिछली साजिशें नाकाम होने के बाद साजिशकर्ता इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे। लेकिन इस बार भी बड़ा हादसा टल गया।
डिरेल होती ट्रेन तो ये होता अगला कदम
इस मामले में जांच अधिकारियों का मानना है कि यदि साजिशकर्ता ट्रेन को डिरेल करने में सफल हो जाते तो शायद पेट्रोल बम और बारूद का उपयोग करते। इस बार जांच टीम यह मान रही है कि घटना के पीछे किसी मास्टर माइंड का हाथ है। जो पर्दे के पीछे से अपना खेल, खेल रहा है। वह सामान्य तरीकों से बड़ी घटना को अंजाम देने का चक्रव्यूह रच रहा है।
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एक से अधिक साजिशकर्ता शामिल
मिली सूचना तके आधार पर जांच टीम द्वारा की गई जांच में अब तक यह माना जा रहा है कि घटना को अंजाम देने के लिए एक से ज्यादा साजिशकर्ता शामिल हैं। इस पर लगभग सभी अधिकारियों की एक राय बनी है। इसके पीछे तर्क यह भी है कि घटनास्थल से जो भी सामान बरामद हुआ है, उसे मौके तक पहुंचाना किसी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है। वहीं यह सब कोई देख न ले, इसके लिए आसपास की निगरानी के लिए भी लोग लगे होंगे।
एक नजर डालते हैं 23 दिन के अंदर हुई घटनाओं पर…
- पहली घटनी 16 अगस्त 2024 को हुई। आधी रात 2.35 बजे झांसी ट्रैक पर साबरमती ट्रेन डिरेल हो गई।
- दूसरी घटना 26 अगस्त 2024 को हुई। आधी रात 12.05 बजे फर्रुखाबाद में कासगंज-फर्रुखाबाद एक्सप्रेस एक लकड़ी के टुकड़े से टकराई, बड़ा हादसा टल गया।
- अब तीसरी घटना 08 सितंबर 2024 को हुई। रात 8.30 बजे कालंदी एक्सप्रेस, बर्राजपुर से आगे मुड़ेरी गांव के पास एक गैस सिलेंडर से टकराई, बड़ा हादसा टल गया।
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ये सामान हुआ बरामद
बताते चलें कि कन्नौज स्टेशन के आरपीएफ इंस्पेक्टर ओपी मीणा भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने ड्रैगन और सर्च लाइट की मदद से रेलवे ट्रैक और आसपास झाड़ियों की जांच करके जानकारी जुटाई। मामले में आरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट एमएस खान ने बताया कि मौके से भरा हुआ एलपीजी सिलेंडर, माचिस, बोतल और अन्य संवेदनशील वस्तुएं बरामद हुई हैं।
बोल्डर से टकराई थी साबरमती एक्सप्रेस
इससे पहले कानपुर के पनकीधाम स्टेशन के पास वाराणसी से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) बोल्डर से टकरा गई थी। इससे ट्रेन के सभी डिब्बे पटरी से उतर गए थे। ट्रैक के पास से लोहे का एंगल पड़ा मिला था। हालांकि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई थी। मामले में अभी जांच का जा रही है।