हाथी और जेब्रा (सांकेतिक तस्वीर), Source- Freepikहाथी और जेब्रा (सांकेतिक तस्वीर), Source- Freepik

बतकही/दिल्ली; दुनिया (World News) के कई देश अलग-अलग समय पर अलग-अलग समस्याओं से जूझते रहते हैं। इस समय अफ्रीकी देश नामीबिया (Namibia) भी एक जटिल समस्या से जूझ रहा है। उसकी यह समस्या है ‘सूखा’। थोड़ा बहुत सूखा नहीं, बल्कि सूखा इस कदर का कि लोगों के खाने के लाले पड़े हैं। या यूं कहें कि सूखे से भुखमरी जैसे हालात पैदा हो गए हैं।

ऐसे में वहां की सरकार ने लोगों की भूख मिटाने को एक ऐसा फैसला लिया है। जो दुनियाभर में चर्चित है। नामीबिया की सरकार ने 700 से अधिक जंगली पशुओं को मारने का फैसला लिया है। ताकि लोगों की भूख मिटाई जा सके। उन्हें जीवन मिल सके। इन पशुओं में हाथी, जेब्रा और दरियायी घोड़ा सहित कई अन्य पशु शामिल हैं।

100 वर्षों से सूखे की समस्या

यह निर्णय लेकर सरकार ने करीब 1.4 मिलियन लोगों के लिए मांस उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। जो कि देश की कुल आबादी का लगभग आधा हिस्सा है। ताकि लोगों को खाद्य संकट से राहत दी जा सके। इसको लेकर इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि नामीबिया करीब 100 वर्षों से सूखे की समस्या से जूझ रहा है। इससे लोगों को खाना-पानी की भारी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है। अनाज के सरकारी गोदाम खाली हो चुके हैं। ऐसे में लोगों का जीवन बचाने के लिए सरकार ने जंगली पशुओं को मारने की इजाजत दी है।

इन पशुओं को मारने का एलान

इस तरह पशुओं की हत्या करने को कलिंग कहा जाता है। इस योजना के तहत 723 पशुओं को मारने की मंजूरी दी गई है। इसमें सर्वाधिक जेब्रा-300, फिर ब्लू वाइल्डबीस्ट-100 और 100- एलैंड्स (एक प्रकार का हिरण) हैं। इसके अलावा हाथी-83, भैंस-60, इम्फाला-50, दरियाई घोड़ा-30 शामिल हैं।

बताते चलें कि इससे पहले 150 से अधिक पशु मारे जा चुके हैं। इनका करीब 63 टन मांस बांटा जा चुका है। बीती 26 अगस्त को पर्यटन और पर्यावरण, वानिकी मंत्रालय ने मीडिया से बातचीत की। कहा कि कलिंग योजना के तहत उम्मीद है कि कुछ पशुओं को मारने से वन्यजीवों पर सूखे का असर कुछ कम होगा।

…इसलिए लिया गया यह फैसला

मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि सरकार का मानना है कि जगंली पशुओं को मारने से सूखे का नकारात्मक प्रभाव भी कुछ कम हो सकेगा। साथ ही लोगों को मांस उपलब्ध हो सकेगा। यह पशु चारागाह वाले इलाकों में चारा और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा पैदा कर रहे हैं। अन्य पशुओं को इससे भी राहत मिलेगी।

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कहा गया कि सरकार को इस बात का भी डर है कि आने वाले समय में पानी और चारा की कमी से यह पशु आबादी वाले इलाकों में अतिक्रमण करेंगे। इससे लोगों में भय और संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है। देश में 24 हजार हाथियों समेत जंगली पशुओं की बड़ी संख्या है। जो दुनिया की सबसे बड़ी आबादी में से एक है।

एल नीनो के कारण पैदा हुए हालात

रिपोर्ट के अनुसार, सूखे की यह स्थिति मुख्य रूप से एल नीनो के कारण उत्पन्न हुई है। एल नीनो दुनिया के कई हिस्सों और महासागरों में अत्यधिक गर्मी और सूखे से जुड़ा एक मौसम पैटर्न है। एल नीनो की स्थिति करीब 7 वर्ष बाद वर्ष 2023 में वापस लौटी।

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इससे औसत से अधिक तापमान बढ़ गया। जबकि वर्षा न्यूनतम हुई। ऐसे में मिट्टी में नमी की काफी कमी हो गई, और सूखे की स्थिति बन गई। कई अध्ययनों में पाया गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान के साथ, सूखा और बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाएं पहले से अधिक और तीव्र हो गई हैं।

घोषित की गई थी राष्ट्रीय आपात स्थिति

भौगोलिक तौर पर दक्षिण अफ्रीका का जो सूखाग्रस्त इलाका है, उसी क्षेत्र में ‘नामीबिया’ स्थित है। नामीबिया अक्सर भौगोलिक घटनाओं से जूझता रहता है। बताते चलें कि इससे पहले वर्ष 2013 और 2016, फिर 2019 में भी यहां सूखा का कारण राष्ट्रीय आपात स्थिति घोषित की गई थी।

व्यापक और विनाशकारी स्थिति

अब वर्ष 2024 की मौजूदा स्थिति पहले से अधिक व्यापक और विनाशकारी है। इस पर यूरोपीय आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा कि इस सूखे की शुरुआत करीब एक वर्ष पहले 2023 के अक्टूबर महीने में ‘बोत्सवाना’ से हुई थी। इसके बाद यह बढ़ते हुए जांबिया, अगोला, जिम्बाबे और नामीबिया में फैल गया। अब दक्षिणी अफ्रीका के कई हिस्से इससे प्रभावित हैं।

सोर्स: Why Namibia plans to kill hundreds of its majestic wild animals for meat

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