बतकही/लखनऊ; देश में क्रोनिक बीमारियों का खतरा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं। बड़े ही नहीं कम उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं। हार्ट प्राब्लम हो, मधुमेह (डायबिटीज) या फिर कैंसर रोग। ये सभी बीमारियां असमय मौत के खतरे को बढ़ा देती हैं।
वहां स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कई सारी क्रोनिक बीमारियां ऐसी हैं, जिनके लक्षण दिखते ही उपचार ले लिया जाए तो इनका असर काफी कम हो जाता है। यही नहीं जान जाने का खतरा भी कम हो जाता है। लोग दैनिक दिनचर्या के साथ सावधानी बरतते हुए जीवन बिता सकते हैं।
हर चौथा व्यक्ति इससे प्रभावित
क्रोनिक बीमारियों के बढ़ते हुए खतरे को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी एक जानकारी साझा की। इसमें मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि देश में प्रति 4 व्यक्ति में एक को हाई ब्लड प्रेशर (हाई बीपी/हाईपरटेंशन) की समस्या प्रभावित कर सकती है।
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समय-समय पर कराते रहें चेक
बताया गया कि यदि ध्यान न दिया जाए तो यह अनिंयत्रित बना रहता है। इसकी वजह से हार्ट से संबंधित बीमारियां बढ़ता रहती हैं। जिनसे जान तक का खतरा बढ़ जाता है। बताया कि हाई बीपी की समस्या किसी को भी हो सकती है। इसलिए व्यक्ति को समय समय पर इसे चेक कराते रहना चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने साझा की जानकारी
सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर किए पोस्ट में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई अहम जानकारी साझा की। इसमें बताया कि हाई बीपी की समस्या को अक्सर लोग हल्के में ले लेते हैं। जब तक उनके स्वास्थ्य पर इसका व्यापक असर नहीं दिखने लगता, वह इस पर ध्यान नहीं देते। लगातार हाईबीपी बने रहने से मनुष्य की जान तक को खतरा हो सकता है।
बताते चलें कि हाई बीपी की समस्या सिर्फ आपके हार्ट को ही नहीं बल्कि किडनी और लिवर से लेकर ब्रेन संबंधित बीमारियों को जन्म दे सकती है। यही नहीं हाई बीपी से आंखों तक को नुकसान हो सकता है। आंखों की रोशनी कम होने से लेकर रेटिना तक प्रभावित हो सकता है।
इससे नपुंसकता तक का जोखिम
इसके अलावा कुछ शोधों में यह पाया गया है कि यह किडनी-लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों में तो प्रभाव डालता ही है। लगातार हाई बीपी की समस्या से नपुंसकता तक का जोखिम हो सकता है। इसलिए अच्छी सेहत को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर इसकी जांच कराना और भी आवश्यक हो जाता है।
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हार्ट फेलियर का खतरा
हाई बीपी से हार्ट में अतिरिक्त दबाव बढ़ता है। इससे हार्ट की मांसपेशियां (मायोकार्डियम) संरचनात्मक और कार्यात्मक रूप से परिवर्तनशील हो जाती हैं। इसमें बाएं वेंट्रिकल की हाइपरट्रॉफी भी शामिल है। इस परिवर्तन से हार्ट फेलियर का खतरा काफी बढ़ जाता है।
ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा
इसके अलावा हाई बीपी से रक्त वाहिकाओं पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इससे उनके टूटने का खतरा काफी बढ़ जाता है। यही कारण है कि हाई बीपी को न सिर्फ हार्ट, बल्कि ब्रेन के लिए भी खतरनाक माना जाता है। क्योंकि हाई बीपी से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
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हाई बीपी को कंट्रोल कैसे करें ?
इस पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि हाई बीपी की समस्या वाले लोगों को अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। डॉक्टर उनका सही मार्गदर्शन करेंगे। जरूरत के हिसाब से उन्हें दवा देंगे। दवाओं के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी इसे कंट्रोल में लाया जा सकता है।
लाइफस्टाइल में करें ये बदलाव-
- नियमित व्यायाम करें।
- कुछ समय तक ध्यान लगाएं।
- तनाव बिल्कुल न लें।
- भोजन संतुलित लें।
- धूम्रपान और शराब के सेवन से दूर रहें।
नोट: यह लेख डॉक्टर्स का सलाह और मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।